Compact Disk (CD) क्या हैं? यह डाटा को सुरक्षित रखने का वह माध्यम हैं, जिसमें किसी भी प्रकार के डाटा को store किया जा सकता हैं एवं आवश्यकता पड़ने पर उसे देखा जा सकता हैं।
इस डिस्क का उपयोग अधिक मात्रा में डाटा को स्टोर करने के लिए किया जाता हैं। Compact Disk डाटा को स्टोर करने की वह प्रक्रिया हैं, जिसमें आप read और write दोनों रूपों में इसका उपयोग कर सकते हैं।
एक compact disk का dimension लगभग 4.7 इंच या 120 मिली-मीटर होता हैं। यह उपयोग करने में काफी सरल होती हैं। साधारण व्यक्ति इसमें आसानी से copy-paste के माध्यम से डाटा स्टोर कर सकता हैं।
निचे पोस्ट में आप निम्नलिखित टॉपिक के बारे में पढ़ेंगे: –
कॉम्पैक्ट डिस्क क्या है – What is Compact Disk in Hindi?
Compact Disk (CD) पॉली कार्बोनेट से बना होता हैं, जिसका वजन 20 ग्राम होता हैं। इसमें आप 700MB तक का डाटा स्टोर कर सकते हैं। इसके अंदर के डाटा को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना अत्यंत सरल और सुरक्षित होता हैं।
disk का उपयोग सावधानीपूर्वक किया जाना अत्यंत जरूरी हैं, क्योंकि इसके नीचे वाली परत में खरोंच लगने पर इसके अंदर मौजूद डाटा को नुकसान पहुच सकता हैं। जिस कारण इसको read पर पाना काफी मुश्किल हो जाता हैं।
कॉम्पैक्ट डिस्क 780 नैनोमीटर तरंग अर्धचालक लेजर के आधार पर अपना कार्य पूर्ण करती हैं। शुरुआती समय में जब compact disk का अविष्कार हुआ था, उस समय इसमें सिर्फ ऑडियो को ही स्टोर किया जा सकता था। परंतु आधुनिक समय में हम इसमें किसी भी प्रकार के डाटा को स्टोर करके रख सकते हैं।
CD का उपयोग सर्वप्रथम 1982 में ऑडियो को रिकॉर्ड करने के लिए किया गया था। जिसके पश्चात इसका उपयोग निरंतर होता आ रहा है। इसका उपयोग movies को store करने के लिए अधिक किया जाता हैं।
इसकी निचली परत multi-color की होती है, जिसमे नीले रंग की मात्रा अधिक होती हैं। इन रंगों को आधार बनाकर मशीन द्वारा इसके डाटा को स्टोर एवं रीड किया जाता हैं।
इस प्रकार के डाटा को रीड करने के लिए Laptop, Desktop, CD Player, DVD Player आदि का उपयोग किया जाता हैं।
सम्बंधित पोस्ट: –
HDD (हार्ड-डिस्क ड्राइव) क्या होती है
SDD (सॉलिड-स्टेट ड्राइव) क्या है
RAM क्या है इसके प्रकार
ROM क्या है इसका उपयोग
कंप्यूटर की प्राइमरी मेमोरी
कंप्यूटर की सेकेंडरी मेमोरी
कॉम्पैक्ट डिस्क के प्रकार – Types of CD in Hindi
Compact Disk को मुख्यतः तीन आधारों पर विभाजित किया जाता हैं और विभाजन का यह कार्य इनके कार्य करने के तरीकों के आधार पर किया जाता हैं। कॉम्पैक्ट डिस्क के तीन प्रकार निम्न हैं: –
- CD-ROM
- Recordable CD (CD-R)
- Rewritable CD (CD-RW)
1. CD-ROM
CD ROM (Read Only Memory) के अंतर्गत आप किसी डाटा को सिर्फ देख या पढ़ सकते हैं। उसमें अपने अनुसार परिवर्तन नही कर सकते। इस प्रकार की CD का उपयोग कही भी आसानी से किया जा सकता हैं।
इस प्रकार की CD में आप 650 Mb तक का डाटा स्टोर कर सकते हैं। इसका उपयोग सामान्यतः Computer Software, Music data, Education Related Data को स्टोर करने के लिए किया जाता हैं।
2. Recordable Compact Disk (CD-R)
इस प्रकार की CD का उपयोग ऑडियो (Audio) को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता हैं। इसमें डेटा को आसानी से पढ़ा और लिखा जा सकता हैं। इस प्रकार की CD में निचली परत में मौजूद रंगों के आधार पर इसके डाटा की मात्रा को देखा जा सकता हैं। इसको सामान्यतः CD Player के माध्यम से आसानी से देखा जा सकता हैं।
इसमें हम डाटा को सिर्फ एक बार ही write कर सकते हैं, अर्थात दुबारा से डाटा को स्टोर करने के लिए इसका उपयोग नही किया जा सकता, जिस कारण इसका मूल्य Rewritable CD की तुलना में कम होता हैं।
3. Rewritable Compact Disk (CD-RW)
यह आधुनिक प्रणाली की CD हैं, इसमें मौजूद data को delete कर पुनः डाटा को स्टोर किया जा सकता हैं या बचें हुए space में अन्य सामग्री को स्टोर किया जा सकता हैं। जिस कारण इसे Rewritable CD कहा जाता हैं।
सर्वप्रथम इस CD का आविष्कार 1997 में हुआ था। इस प्रकार की CD का मूल्य सामान्य से अधिक होता हैं। यह CD-R की तुलना में अधिक विश्वसनीय होते हैं, अर्थात इसमें डाटा को नुकसान पहुचने की आशंका बहुत कम होती हैं।
इस प्रकार की Compact Disk को read करने के लिए किसी विशिष्ट CD Player की आवश्यकता होती हैं, क्योंकि इस CD को प्रत्येक System read नहीं कर पाता।
Compact Disk पर Data कैसे Store होता है
Compact Disk अपना सम्पूर्ण कार्य निचली परत पर मौजूद रंगीन परतों के माध्यम से करता हैं। यह रंगीन परत डाटा को स्टोर करने या फिर रीड करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
इस डिस्क का निर्माण पॉली कार्बोनेट (Plastic) से किया जाता हैं। इसका निर्माण 5 परतों के साथ किया जाता हैं। जो इसकी ऊपरी परत होती हैं उसे Protective layer कहा जाता हैं, नीचे की परतों को क्रमशः Reflective layer, Dielectric layer, Recording layer, pregroove और अंतिम लेयर को Polycarbonate Disk के नाम से जाना जाता हैं।
इसका सबसे महत्वपूर्ण भाग Recording layer होती हैं। जिसमें लेजर लाइट पड़ती हैं और प्रकाश को परावर्तन और अपरावर्तन का कार्य करती हैं। जिस कारण यह डाटा को रीड और स्टोर कर पाता हैं।
कॉम्पैक्ट डिस्क का मुख्य उपयोग
CD का उपयोग Computer Software, Movie’s, Songs, Applications, License, Audio-Video Material एवं अन्य प्रकार के डाटा को store करने के लिए किया जाता हैं। इस प्रकार की Compact Disc में डाटा को संरक्षित रखना एवं एक स्थान से दूसरे स्थान में भेजना काफी सरल होता हैं।
CD का उपयोग अधिक डाटा को स्टोर करने के लिए किया जाता हैं, क्योंकि इसकी Storage Capacity अधिक होती हैं। Compact Disk के माध्यम से हम अपने स्टोर डाटा को आसानी से देख सकते हैं। वर्तमान समय मे इसका सर्वाधिक उपयोग Computer से संबंधित डाटा को स्टोर करने के लिए किया जाता हैं।
कॉम्पैक्ट डिस्क से संबंधित समस्याएं
CD मे data को सुरक्षित रखने हेतु इसकी निचली परत को सुरक्षित रखना अत्यंत आवश्यक होता हैं, अगर CD की निचली परत में किसी कारण खरोच आ जाती हैं, तो ऐसी स्थिति में सुरक्षित डाटा को read कर पाना अत्यंत मुश्किल हो जाता हैं।
Compact Disc को रीड करने के लिए ऐसे CD Player की आवश्यकता होती हैं, जो वायरस मुक्त हो अर्थात उस system में वायरस होने पर उसके अंदर मौजूद डाटा को नुकसान पहुच सकता हैं या उसके अंदर मौजूद डाटा नष्ट हो सकता हैं।
संक्षेप में – Conclusion
Compact Disk क्या हैं? यह किसी भी प्रकार के डाटा को अधिक मात्रा में संग्रहित करने की क्षमता रखती हैं। यह अपना समस्त कार्य निचली परत में रंगीन परतों के आधार पर करती हैं। उसी की सहायता से इसमे डाटा स्टोर और रीड होता हैं।
इसके अंतर्गत हम 700MB तक का डाटा स्टोर कर सकते हैं। इस disc का उपयोग करना अत्यंत सरल होता हैं। लेकिन इसको सुरक्षित रखना अत्यंत आवश्यक होता हैं, क्योंकि इसके निचली परत में खरोच लगने से डाटा को नुकसान पहुच सकता हैं।
दोस्तों आज आपने जाना कि Compact Disk (CD) क्या होती हैं और इसके प्रकार। अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी अवश्य शेयर करें।
Wander full sir
Thank you Shubhi 🙏
Good infromation sir
thank you sir
रितेश, आपका स्वागत है 😊