इस लेख What is Iterative Model in Hindi में हम चर्चा करेंगे कि सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में Iterative model क्या है? इसके विभिन्न stages, advantages और disadvantages के बारे में। लेख को अंत पढ़ने के बाद आपको इस विषय से सम्बंधित पूरी जानकारी हो जाएगी।
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इटरेटिव मॉडल क्या है
इटरेटिव मॉडल का उपयोग कब करें
इटरेटिव मॉडल के फायदे
इटरेटिव मॉडल के नुकसान
What is Iterative Model in Hindi (पुनरावृति मॉडल क्या है)
Iterative model में हम कुछ requirements के साथ software को develop करना शुरू करते है और जब वह विकसित हो जाता है तो उसे review किया जाता है। यदि उसमें changes की requirements होती है तो हम उन requirements के आधार पर software का एक नया version विकसित करते है। जब तक हमे हमारा final product नहीं मिल जाता यह process ऐसे ही कई बार repeat होती है।
तो, Iterative model में कई iterations को follow करके एक s/w को develop किया जाता है। iteration का मतलब होता है कि हम development process को बार-बार repeat कर रहे है। उदाहरण के लिये हम कुछ s/w requirements के साथ SDLC process को follow करते हुए software का first version develop करते है। इसे हम Iteration 1 कह सकते है।
First version के विकसित हो जाने के बाद यदि s/w को change करने की आवश्यकता होती है तो second iteration के साथ उसका एक new version विकसित किया जाता है। अब फिर से हम देखेंगे कि क्या new version पर्याप्त है, अगर नहीं तो हम third iteration के साथ इसमें भी changes करेंगे। iteration को तब तक repeat किया जाएगा जब तक complete software बनके तैयार न हो जाये।
Iterative model का जो basic concept है वो ये है कि s/w को repeated cycle या जिन्हें हम iteration भी बोलते है के जरिये develop किया जाए और एक बार मे उसके छोटे हिस्से को ही develop किया जाए। इस मॉडल को classical waterfall model के drawbacks को दूर करने के लिये विकसित किया गया था।
इस आरेख के माध्यम से आप Interactive model को समझ सकते है।
Iterative model के विभिन्न phases इस प्रकार है:
Requirement gathering & analysis: इस phase में customer की सभी software requirements को collect किया जाता है और ये analyze किया जाता है कि क्या वो requirements पूरी हो सकती है या नहीं। साथ ही ये भी जांचा जाता है कि कही ये project हमारे budget से बाहर तो नही जाएगा।
Design: इस phase में s/w के design को prepare किया जाता है। इसके लिए विभिन्न diagrams जैसे Data Flow diagram, class diagram, activity diagram, state transition diagram, आदि का उपयोग किया जाता है।
Implementation: अब विभिन्न programming language के माध्यम से s/w के design को coding में implement किया जाता है। इसे हम coding phase भी कहते है।
Testing: s/w की coding हो जाने के बाद अब उसे test किया जाता है ताकि उसमे मौजूद bugs और errors को identity किया जा सके। ऐसा करने के लिये विभिन्न testing techniques जैसे performance testing, security testing, requirement testing, stress testing, आदि की जाती है।
Deployment: अंत मे customer को s/w दे दिया जाता है। इसके बाद customer अपने work environment में उस s/w को use करना शुरू करता है।
Review: जब s/w को उसके work environment में deployed कर दिया जाता है उसके बाद उसे review किया जाता है। यदि कोई error/bug पाया जाता है या कोई नई requirements हमारे सामने आती है तो फिर से इन phases को new iteration के साथ repeat करके एक new version विकसित किया जाता है।
Maintenance: इस phase में हम customer के feedback को देखते है, आ रही समस्याओं को हल करते है, errors को fix करते है, s/w को update करते है, आदि।
अन्य SDLC Models: Waterfall model, Prototype model, Spiral model, Agile model, RAD model, Incremental model.
Iterative Model का Use कब करें
- इस मॉडल का उपयोग तब करना चाहिये जब software की जो major requirements है वो clearly defined हो।
- Large project के लिए इस मॉडल का उपयोग करें।
- ऐसे project जहां future में requirements change हो सकती है।
Advantage of Iterative Model in Hindi
- Iterative model में bugs और errors को जल्दी ही identified किया जा सकता है।
- इस मॉडल के अंतर्गत कुछ specifications के साथ software को जल्दी ही तैयार कर लिया जाता है।
- प्रत्येक iteration के दौरान software की testing और debugging आसान होती है।
- हमें blueprints के साथ user के reliable feedback प्राप्त होते है।
- यह मॉडल लगातार बदलती जरूरतों के लिये आसानी से स्वीकार्य है।
- Software development process के दौरान अतिरिक्त समय development पर और सिमित समय documentation पर दिया जाता है।
- Risks को identify करके उन्हें iteration के दौरान resolve किया जाता है।
Disadvantage of Iterative Model in Hindi
- छोटे प्रोजेक्ट के लिये Iterative model अनुकूल नही है।
- चूंकि हमें s/w development process में कई बार iterations को repeat करना होता है जिसके कारण हमें अधिक resources की आवश्यकता होती है।
- चूंकि requirements लगातार बदल रही है तो हमें software में बार-बार changes करने होते है।
- लगातार बदलती requirements के कारण project का budget भी बढ़ता है और उसे पूरा करने में समय भी अधिक लगता है।
- इस मॉडल में software development की पूरी प्रकिया को नियंत्रित करना जटिल होता है।
- यह बता पाना बेहद कठिन है कि complete software किस date तक तैयार हो जायेगा।
Conclusion (संक्षेप में)
क्या है इटरेटिव मॉडल? इस मॉडल के अंतर्गत software development को कुछ requirements के साथ शुरू किया जाता है और फिर iterations के माध्यम से software को enhanced किया जाता है अर्थात उसमे नए features और functionality को add करते है। ये प्रकिया तब तक चलती है जब तक हमें final software प्राप्त नहीं होता।
तो, उम्मीद है इस लेख What is Iterative Model in Hindi को पढ़ने के बाद आपकी इस विषय से सम्बंधित सभी शंकाये दूर हो गयी होंगी। यदि फिर भी कोई सवाल या सुझाव हो तो कृपया हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं।
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