कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer in Hindi) लगभग 300 ई.पू. पहले का माना जाता है, जब मनुष्य गिनती (Counting) करने के लिये लकड़ी, पत्थर, उंगलियों और हड्डियों का उपयोग करते थे। असल मे एक Calculating Device की खोज में ही मनुष्य ने Computer का अविष्कार किया। दिलचस्प बात ये है, कि शब्द ‘कंप्यूटर‘ का प्रयोग 16 वीं शताब्दी में ऐसे व्यक्ति के लिये होता था जो गणितिय गणना करने में माहिर हो।
पोस्ट में आगे हम आपको कंप्यूटर का इतिहास और विकास बतायेंगे। जिसमें आप उन डिवाइस के बारे में पढेंगे जिनका उपयोग अतित में गणना (Calculation) करने के लिए किया जाता था। इसके अलावा आप ये भी जान पाएंगे कि एक सामान्य गणना मशीन कैसे आधुनिक कंप्यूटर बन पाया।
इस पोस्ट में आप निम्नलिखित टॉपिक के बारे में पढ़ेंगे:-
कंप्यूटर का इतिहास – Brief History of Computer in Hindi
जैसा हमने अभी पढ़ा कि कई सौ साल पहले Computer शब्द का प्रयोग मशीन के लिये नही बल्कि उन व्यक्तियों के लिये किया जाता था जो जटिल गणितीय गणनाओं (Mathematical Calculation) को हल करने में सक्षम होते थे। इन्ही महान गणितज्ञों ने कैलकुलेशन को आसान बनाने के लिये कई प्रकार की संख्या प्रणालियों (Number Systems) को जन्म दिया।
जिनमें बेबोलोनियन संख्या प्रणाली, रोमन संख्या प्रणाली और भारतीय संख्या प्रणाली शामिल है। हालांकि इनमें से भारतीय संख्या प्रणाली को दुनियाभर में अपनाया गया। जो आगे चलकर आधुनिक दशमलव संख्या प्रणाली का आधार बना। इसे Base-10 Number System भी कहा जाता है। जिसमे 10 अंक होते है, जैसे 0,1,2,3,4,5,6,7,8,9.
इसके बाद ही बाइनरी नंबर सिस्टम का अविष्कार हुआ जिसे Base-2 System भी कहते है। यह दो अलग-अलग प्रतीकों 0 (zero) और 1 (one) द्वारा संख्यात्मक मूल्यों का वर्णन करता है। Computer में मुख्य रूप से Binary System का उपयोग होता है, अगर आप इसके बारे में पढ़ेंगे तो आप समझ जाएंगे कि Computer में डाटा कैसे स्टोर और प्रोसेस किया जाता है। तो चलिए अब देखते है कि एक गणना मशीन के रूप में Computer की शुरुआत कैसे हुई।
शुरुआती गणना मशीन
प्राचीन काल की मशीन से आधुनिक जमाने के IBM PC बनने तक कंप्यूटर ने एक लंबा सफर तय किया है। तो आइए उस सदी की कुछ प्रशिद्ध गणना मशीन के बारे में जानते है, जिन्होंने Computer के विकास में एक अहम योगदान दिया।
Abacus
प्राचीन काल मे गणना करने के लिये कई प्रकार की Calculating Machine का उपयोग किया गया परन्तु Abacus उनमें सबसे प्रमुख रहा जिसका Asia के कई देशों में आज भी इस्तेमाल होता है। हालांकि Abacus का अविष्कार Babylonian में 2400 ई.पू. हो गया था। परन्तु जिस रूप से हम सबसे अधिक परिचित है, उसे China में पहली बार लगभग 500 ई.पू. में विकसित किया गया था। चीन में इसे “Suanpan” अर्थात Calculating Pan कहा जाता है।
ये डिवाइस आमतौर पर लकड़ी से बनी होती है। जिसमे कई धातु की छड़े लगी होती है, जिन पर लकड़ी या मिट्टी से बने मोतियों को पिरोया गया होता है। इसके चित्र में आप देखेंगे मोतियों को एक केंद्र छड़ी जिसे ‘Bar’ कहते है कि मदद से विभाजित किया गया है। इन मोतियों को नियम के हिसाब से ऊपर-नीचे करके ही बुनयादी अंकगणितीय गणनाएं (Arithmetic Operations) जैसे जोड़ और घटाना किये जाते थे।
Napier’s Bones
कैलकुलेशन को आसान करने में एक अहम मोड़ तब आया जब एक स्कॉटिश गणितज्ञ John Napier ने सन 1614 में एक बेहद ही खास मशीन Napier’s bones का अविष्कार किया। इस Calculating device की मदद से गुणा और भाग किया जा सकता था। ये और कुछ नही बल्कि हड्डी (Bones) या लकड़ी का एक टुकड़ा था जिस पर अंको को प्रिन्ट किया गया होता था।
उस समय इंग्लैंड और पश्चिमी यूरोप में गणना करने के लिये इस गणनक मशीन का उपयोग बखुबी हुआ। Napier अपने Logarithms के आविष्कार के लिए भी प्रशिद्ध हुए थे।
मैकेनिकल कंप्यूटर का इतिहास
कंप्यूटिंग डिवाइस का यांत्रिक युग (Mechanical Age) लगभग 1623 से 1945 के बीच मे माना जाता है। इस युग को Computer के इतिहास में एक अलग पहचान दी गई है, क्योंकि इस बीच कई नई गणना मशीन जैसे Slide rule, Pascline, Difference Engine और Analytical Engine का अविष्कार हुआ।
Pascline
ये दुनिया का पहला यांत्रिक कैलकुलेटर (First Mechanical Calculator) था जिसे सन 1642 में फ्रांसीसी गणितज्ञ Blaise Pascal द्वारा विकसित किया गया। शुरुआत में इसे Arithmetic Machine के नाम से जाना गया फिर Pascline Wheel और अंत मे इसका नाम Pascline पढ़ा। ये संख्याओं को तेजी से जोड़ और घटा सकता था। इसके अलावा बार-बार जोड़कर और घटाकर इसके द्वारा क्रमशः गुणा व भाग भी किया जाता था।
Pascline में चैन और दांतेदार पहियों की एक श्रंखला होती थी तथा प्रत्येक पहिये पर दाएं से बाएं तरफ बने दांत 0 से 9 तक संख्याओं का प्रतिनिधित्व करते थे और प्रत्येक व्हील 10, 100, 1000 इसी तरह आगे की बडी संख्याओं का प्रतिनिधित्व करती थी। पहियों के घूमने पर ही इसके द्वारा गणना की जाती थी।
अपनी स्पीड और कैलकुलेशन में सटीकता के कारण Pascline बहुत कम समय मे अधिक लोकप्रिय हो गया था। इस गणना मशीन को Pascal ने इसलिये बनाया था ताकि वह अपने पिता जो एक कर लेखाकार (Tax accountant) थे उनकी मदद कर पाए।
Jacquard Loom
फ्रांसिसी बुनकर Joseph Marie Jacquard ने सन 1801 में एक कपड़ा बुनाई करघा या Loom तैयार किया जो आगे चलकर Computer के लिये बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ। असल में इसमें “Punch Cards” का उपयोग होता था जिसकी मदद से कपड़ो में विभिन्न patterns के डिज़ाइन दिए जा सकते थे। Punch Card आमतौर पर लकड़ी का एक टुकड़ा होता है, जिस पर किसी डिज़ाइन के पैटर्न को holes करके बनाया गया होता है।
एक बार जब ऑपरेटर Punched Cards को Loom में फीट कर देता है उसके बाद लूम स्वतः ही कपड़ो में पैटर्न को डिज़ाइन करने लगेगा। Jacquard के इस Loom से उन वैज्ञानिकों को एक संभावना दिखी जो Calculating Machine को बेहतर करने में कार्यरत थे। उन्हें दो मुख्य संभावना इसमे दिखाई दी, पहला ये कि निर्देशों को Punch Card जैसी किसी डिवाइस में स्टोर किया जा सकता है और दूसरा यह कि इनका प्रयोग एक Input Device के रूप में भी किया जा सकता है।
Difference Engine
आज के आधुनिक कंप्यूटर की नींव 1822 में रखी गयी जब अंग्रेजी गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) ने पहली स्वचालित काउंटिंग मशीन Difference Engine का निर्माण किया। इसे दुनिया के पहले यांत्रिक कंप्यूटर (First Mechanical Computer) के रूप में देखा जाता है। यह मशीन न सिर्फ संख्याओं के कई सेटों की स्वचालित रूप से गणना कर सकती थी बल्कि परिणामों की हार्ड कॉपी बनाने में भी सक्षम थी।
हालांकि फन्ड की कमी के चलते बैबेज इस मशीन को और बेहतर नही कर पाए। इसके कई सालों बाद उन्होंने एक जटिल मशीन Analytical Engine बनाने पर काम किया।
Analytical Engine
1837 में Charles Babbage एक नई कम्प्यूटिंग मशीन को लांच करते है, जिसे Analytical Engine कहा जाता है। ये दुनिया का पहला सामान्य उद्देशीय कंप्यूटर (First General-Purpose Computer) था जो किसी भी प्रकार की कैलकुलेशन करने में सक्षम था। इसके निर्माण के लिये बैबेज द्वारा पीतल के गियर का उपयोग किया गया। चुंकि ये मेकैनिकल था इसलिए यह भाप के इंजन से संचालित होता था।
इसके चार मुख्य भाग थे जिनमें Mill, Store, Reader और Printer शामिल है। देखा जाए तो आज के आधुनिक कम्प्यूटरों में ये चार सबसे आवश्यक घटक है। जहां Mill एक गणना करने वाली इकाई है, ये काम आज के Computers में CPU का होता है। Store की जगह Memory ने ली है और Reader और Printer को क्रमशः Input Device व Output Device ने बदल दिया है।
क्या आप जानते है, कंप्यूटर के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने के कारण ही चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) को कंप्यूटर का पिता (Father of Computer) कहा जाता है।
Analytical Engine में गणना के लिए निर्देशों को लिखने में प्रशिद्ध कवि लॉर्ड बायरन की बेटी Ada Lovelace ने बैबेज का साथ दिया। जिस कारण उन्हें कंप्यूटर विज्ञान जगत की पहली कंप्यूटर प्रोग्रामर (First Computer Programmer) का दर्जा दिया जाता है।
Tabulating Machine
1880 के दौरान न्यूयॉर्क के एक इंजीनियर हरमन हॉलेरिथ (Herman Hollerith) ने एक Electro-mechanical Machine को विकसित किया जिसका उपयोग मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.A) में हो रही जनगणना में किया गया। यह मशीन इतनी सक्षम थी कि जिस जनगणना को पूरा होने 7 वर्ष का समय लगने वाला था वह मात्र 3 माह में पूर्ण कर ली गयी।
हॉलेरिथ ने अपनी इस मशीन में जानकारी को स्टोर करने और प्रोसेस करने के लिये पहले स्टैंडर्ड पंच कार्ड (Standard Punched Card) का निर्माण किया था। IBM (International Business Machine) के पहले संस्थापक भी यही थे। हालांकि उस समय इस कंपनी का नाम कुछ और था। लेकिन आज वही IBM विश्व की अग्रणी कंप्यूटर निर्माता कंपनियों में से एक है।
इलेक्ट्रो-मेकैनिकल कंप्यूटर का इतिहास
‘कंप्यूटर इतिहास’ में एक महत्वपूर्ण मोड़ सन 1937 में आया जब हावर्ड यूनिवर्सिटी के एक छात्र होवार्ड एच. एकेन (Howard H. Aiken) ने अपने रीसर्च में जटिल गणितीय समस्याओं को हल करने के लिये दुनिया के पहले इलेक्ट्रो-मेकैनिकल कंप्यूटर – मार्क 1 (First Electro-mechanical Computer – Mark 1) पर काम करना शुरू किया। इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिये एकेन ने कई निर्माता कंपनियों से अपने विचार पर चर्चा कि और अंत मे IBM ने उनके इस प्रोजेक्ट को फन्ड किया और मशीन बनाने में भी मदद की।
इस मशीन को IBM द्वारा मूल रूप से स्वचालित अनुक्रम नियंत्रित कंप्यूटर (Automatic Sequence Controlled Computer) नाम दिया गया। ये 55 फिट लम्बी और 8 फिट ऊंची मशीन थी जिसका वजन लगभग 5 टन था। इसमें Electronic tube और Relays का उपयोग किया गया था। Input देने के लिए Punched paper tape को प्रयोग में लिया गया। Harvard Mark – 1 का इस्तेमाल पहली बार द्वितीय विश्व युद्ध (World War 2) में अमेरिकी नोसेना द्वारा महत्वपूर्ण गणनाएं करने में किया गया।
लगभग इसी समय 1936 व 1938 के बीच एक जर्मन सिविल इंजीनियर कॉनराड जूस (Kanrad Zuse) ने दुनिया के पहले प्रोग्रामेबल कंप्यूटर – जेड 1 (First Programmable Computer – Z1) को विकसित किया। इस मशीन का वजन लगभग 1000kg था जिसमें कुछ 20000 पार्ट्स लगे हुए थे। यह कंप्यूटर Binary floating-point numbers और Boolean logic पर आधारित था।
इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर का इतिहास
लगभग 1940 के आस-पास Computer के इलेक्ट्रॉनिक युग की शुरुआत हो गयी थी जब “Vacuum tube” को कम्प्यूटरों में इस्तेमाल करना शुरू किया। पिछले Computers में मुख्य रूप से Electronic relays को उपयोग में लिया जाता था जबकि वैक्यूम ट्यूब इनकी तुलना में काफी तेज होते है। हालांकि पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर कौन सा है और इसे किसने विकसित किया था? इसे लेकर काफी विवाद है।
कुछ लोगों का कहना है कि इसका श्रेय एटनासॉफ बेरी कंप्यूटर (Atanasoff-Berry Computer) को दिया जाना चाहिये। जबकि कुछ कहते है कि एनियक (ENIAC) इसके योग्य है। चलिये इन दोनों Computers के बारे में थोड़ा जानते है।
Atanasoff-Berry Computer (ABC)
इसे सन 1937 व 1942 के बीच भौतिकी प्रोफेसर जॉन विनसेंट एटनासॉफ (John Vincent Atanasoff) और उनके एक छात्र क्लीफ बेरी (Cliff Berry) द्वारा विकसित किया गया था। आमतौर पर यह माना है, कि यह पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर (First Electronic Digital Computer) था। इसमें पहली बार इलेक्ट्रो-मैकेनिकल relays के बजाए vacuum tubes का इस्तेमाल किया गया था।
ABC Computer लगभग 30 निर्देश प्रति सेकंड निष्पादित करने में सक्षम था। इसके साथ ही इसमें कई महत्वपूर्ण चीजे कंप्यूटर इतिहास में पहली बार लागू की गई थी जो आज भी आधुनिक Computer में मौजूद है जैसे:
- दिए गए डेटा में सभी संख्याओं को प्रदर्शित करने के लिये Binary Digit (1 और 0) का उपयोग किया गया।
- मैकेनिकल उपकरणों (Switches और Wheels) के बजाए इलेक्ट्रॉनिक्स का उपयोग करके कैलकुलेशन की गयी।
- वॉन न्यूमैन आर्किटेक्चर (Von Neumann Architecture) के सिद्धांत का उपयोग किया गया जिसमे मेमोरी और गणना अलग-अलग थे।
ENIAC
ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Calculator) जिसे 1973 से पहले दुनिया का पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर माना जाता था, परन्तु बाद में U.S District Court ने अपने फैसले में ENIAC patent को अमान्य ठहरा दिया। हालांकि इसे दुनिया के पहले सामान्य उद्देशीय इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर (First General Purpose-Electronic Computer) की उपाधि मिली हुई है।
सन 1945 में जे. प्रेसपेर एकर्ट (J. Presper Eckert) और जॉन मौचली (John Mauchly) द्वारा ENIAC को विकसित किया गया था। इसका उपयोग प्रथम बार U.S Army द्वारा जटिल गणनाएं करने के लिए किया गया। इसमें हजारों इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट का उपयोग किया गया था जिसमे: vacuum tubes, resistors, capacitors और relays शामिल है।
इसी वजह से एनियक का आकार बहुत बड़ा था। इसे रखने के लिये एक पूरे कमरे की आवश्यकता होती थी। चूंकि ये 5000 गणनाएं प्रति सेकंड कर सकता था इसलिए इसे उस समय के सबसे तेज Computer की उपाधि मिली। हालांकि आज के आधुनिक कम्प्यूटरों की तुलना में ये कुछ भी नही है। इसी युग मे कई और महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर विकसित किये गए जिन्होंने कम्प्यूटरों के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसमें:
- UNIAC (Universal Automatic Computer) जिसे जे. प्रेसपेर एकर्ट (J. Presper Eckert) और जॉन मौचली (John Mauchly) द्वारा 1949 में बनाया गया था और ये पहला व्यासायिक कंप्यूटर (First Commercial Computer) था।
- EDVAC (Electronic Discrete Variable Automatic Computer) एक इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था जिसे मौचली और एकर्ट ने वॉन न्यूमैन (Von Neumann) की सहायता से सन 1952 में विकसित किया था। इसे भी दुनिया के शुरुआती प्रोग्राममेबल कंप्यूटर में गिना जाता है।
- EDSAC (Electronic Delay Storage Automatic Calculator) को एक ब्रिटिश कंप्यूटर वैज्ञानिक सर मौरिस विल्किस (Maurice Wilkes) और उनकी टीम ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज में विकसित किया था। यह दुनिया का पहला व्यवहारिक सामान्य उद्देशीय संग्रहित-प्रोग्राम इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर (Practical general purpose stored-program electronic computer) था।
यहां पर ये बात ध्यान देने वाली है कि ये पहला संग्रहित-प्रोग्राम कंप्यूटर (First Stored Program Computer) नही था क्योंकि किसी प्रोग्राम को इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्टोर और निष्पादित करने वाला पहला कंप्यूटर SSEM (Small-scale experimental machine) था।
आधुनिक कंप्यूटर की शुरुआत
हालांकि आधुनिक कंप्यूटर की कल्पना बहुत पहले ही एलन ट्यूरिंग (Alan Turing) द्वारा की जा चुकी थी। उन्होंने एक ‘Universal Turing Machine’ के अपने आईडिया को प्रस्तुत करते हुए ये साबित किया कि ऐसी मशीन किसी भी चीज की गणना करने में सक्षम है, जिसकी गणना की जा सकती है। उन्ही की इस सोच के आधार पर Computer के निरन्तर विकास में काफी सहायता मिली।
लेकिन आज Computer को हम जिस रूप में देखते है उसकी शुरुआत 1950 से हुई जब विलियम शॉकले (William Shockley), जॉन बारडीन (John Bardeen), और वाल्टर बराटीन (Walter Brattain) ने बेल लैब में “Transistor” का अविष्कार किया। इससे पहले Computers में vacuum tubes का उपयोग किया जाता था। चूंकि transistors आकार में छोटे और बिजली की खपत कम करते है। इसलिए जब इन्हें vacuum tube की जगह इस्तेमाल किया गया तो Computers पहले की तुलना में छोटे, तेज और अधिक कुशल हो गए।
इसी दौरान सन 1953 में दुनिया की पहली कंप्यूटर भाषा – कोबोल (First Computer Language -Cobol) को ग्रेस हॉपर (Grace Hopper) द्वारा विकसित किया गया। हालांकि इसके कुछ ही सालों बाद 1956 में एक और प्रोग्रामिंग भाषा फोरट्रान (Fortran) को भी लांच किया गया। आधुनिक कंप्यूटर के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब 1959 में ‘Integrated Circuit या IC chip‘ का अविष्कार हुआ। इसे जैक किलबी (Jack Kilby) और रोबर्ट नॉएस (Robert Noyce) द्वारा बनाया गया था।
इसकी खासियत ये थी कि इस एक चिप में कुई सारे इलेक्ट्रॉनिक घटकों जैसे, ट्रांजिस्टर, रजिस्टर और कैपिसिटर को आपस मे जोड़ दिया गया। जिस कारण Computer पहले के मुकाबले आकार में काफी छोटे और अधिक शक्तिशाली हो गए। Integrated Circuit के विकसित होने से ही PC, Laptop और Mobile Phones जैसे कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के बनने का रास्ता साफ हो सका।
इसके कई सालों बाद लगभग 1980 में MS-Dos (Microsoft Disk Operating System) जिसे उप्पर चित्र में दर्शाया गया है, को विकसित किया गया। जिसे IBM के पहले Personal Computer (IBM Model 5150) के साथ उपयोग किया गया था। इस समय तक Computers काफी आधुनिक हो चुके थे और अब वे गणनाएं करने के अलावा भी कई तरह के कार्य करने में सक्षम थे।
आगे भी Computer तकनीक में कई सारे बदलाव हुए जिसके फलस्वरूप आज ये इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस इतनी उपयोगी बन पायी। इसकी उपयोगिता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है, कि आज लगभग हर क्षेत्र में कंप्यूटर का उपयोग विभिन्न कार्यो के लिए किया जाता है।
कंप्यूटर का इतिहास संक्षेप में
कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer in Hindi) एक कैलक्युलेटिंग डिवाइस को विकसित करने की सोच से शुरू होता है। हमने आपको गणना मशीन से आधुनिक कंप्यूटर के बनने तक का इतिहास उप्पर बताया। उम्मीद है, इस पोस्ट के माध्यम से आप विषय को बेहतर तरिके से समझ पाए होंगे। अगर आपके पास कंप्यूटर इतिहास से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव हो तो कृपिया कमेंट में हमे जरूर बताये। कंप्यूटर फंडामेंटल्स से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निचे दिए पोस्ट पढ़े।
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बहुत ही डिटेल में जानकारी दी गई है। बहुत उपयोगी आर्टिकल है।
Very helpful thank you sir,, 🙏
आपका स्वागत है, मधु 🤗
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Archana, आपका स्वागत है 😊
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पल्लवी, आपका स्वागत है। जानकर ख़ुशी हुयी की इससे आपकी मदद हुयी 😊
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