इस पोस्ट Computer Generations in Hindi – कंप्यूटर की पीढ़ियां में आप जानेंगे कि कैसे समय के साथ कंप्यूटर टेक्नोलॉजी का विकास हुआ। आप जानकर हैरान होंगें, जिस आधुनिक कंप्यूटर को आज आप देखते है वह कभी एक कैल्कुलेटिंग डिवाइस हुआ करते थे। कहने का तात्पर्य है कंप्यूटर का जन्म मनोरंजन या ईमेल भेजने के लिये नही बल्कि एक गम्भीर संख्या संकट को हल करने की आवश्यकता के कारण हुआ था।
जैसा कि हम सभी जानते है कि प्रारम्भ में जो कंप्यूटर थे उनका आकार बहुत बढ़ा हुआ करता था और उनकी कार्य करने की क्षमता भी बहुत कम थी। परंतु वर्तमान के कंप्यूटरों की तुलना में यह यकीन कर पाना मुश्किल होता है कि प्रारंभ में कंप्यूटर इस तरह के रहे हो सकते हैं।
कंप्यूटर टेक्नोलॉजी में हुए इन बदलावों को आप 5 computer generation के माध्यम से जान पाएंगे। इन पीढ़ियों के माध्यम से आप कंप्यूटर के पूरे इतिहास को भी संक्षिप्त में समझ जायेंगे।
Five Generation of Computer in Hindi (कंप्यूटर की पांच पीढ़ीयां)
Computer generation से आशय कंप्यूटर के विकास की प्रक्रिया को दर्शाने से हैं। जो यह बताने का प्रयास करता है कि किस तरह समय-समय पर कंप्यूटर की संरचना एवं उसके कार्य करने के तरीकों एवं उसके आकार में परिवर्तन आया।
समय के साथ कंप्यूटर टेक्नोलॉजी में आए इन बदलावों को हम computer generation के रूप में देखते है। प्रत्येक generation हमे यह बताती है कि उस समय अवधि में कंप्यूटर टेक्नोलॉजी में क्या विकास हुआ, कैसे कंप्यूटर के संचालन का तरीका बदला, कैसे उसके आकार, कीमत में कमी आयी और कैसे वह इतने कुशल और विश्वसनीय उपकरण हो गए।
आइये अब एक-एक करके इन five computer generation के बारे में विस्तार से जाने जो निम्नलिखित है: –
- First Computer Generation (1946-1956)
- Second Computer Generation (1956-1964)
- Third Computer Generation (1964-1971)
- Fourth Computer Generation (1971-1985)
- Fifth Computer Generation (1980-till)
First Generation of Computer in Hindi (कंप्यूटर की पहली पीढ़ी)
First generation के computer का काल 1946 से 1956 तक माना जाता है। यह वह कंप्यूटर थे जिनमे वैक्यूम ट्यूब (Vacuum tube) का इस्तेमाल किया जाता था।
ENIAC जिसे computer generation का प्रथम कंप्यूटर माना जाता हैं। जिसका विकास 1946 में जे.पी एकर्ट एवं जे.डब्लू. मोशले के द्वारा किया गया था।
इस generation के computer का आकार आज की तुलना में बहुत बड़ा होता था अर्थात इनका उपयोग करने हेतु एक बड़े कमरे की आवश्यकता होती थी और इनको ठंडा रखने हेतु बड़े बड़े पंखों का इस्तेमाल किया जाता था।
यह बहुत खर्चीले थे क्योंकि इनके रख-रखाव में काफी धन का व्यय करना पड़ता था। इन कंप्यूटर का विकास उस स्तर पर नही हुआ था कि यह सभी भाषाओं का ज्ञान ग्रहण कर सकें। इनके क्रिया करने की गति भी बहुत धीमी हुआ करती थी।
अगर हम सामान्य शब्दो मे कहे तो इस कंप्यूटर का प्रयोग सभी द्वारा करा जाना एवं इसका उपयोग कर पाना असंभव था। इन कम्प्यूटरों का उपयोग सिर्फ डाटा को संग्रहित करने एवं आवश्यकता पड़ने पर उसे देखने हेतु किया जाता था।
उदाहरण: ENIAC, EDSAC, UNIVAC and IBM – 701/650, आदि।
First generation के computers की मुख्य विशेषताएं निन्मलिखित हैं: –
- मुख्य इलेक्ट्रॉनिक घटक के रूप में वैक्यूम ट्यूब का उपयोग किया गया था।
- चुंबकीय ड्रम और चुंबकीय टेप को मुख्य मेमोरी के रूप में उपयोग किया गया था।
- बिजली की खपत बहुत अधिक करते थे जिससे अधिक गर्मी उत्पन्न होती थी।
- आकार में बहुत बड़े (अक्सर पूरे कमरे घेर लेते थे) और धीमी गति के कंप्यूटर थे।
- इनपुट/आउटपुट डिवाइस के लिए पंच कार्ड और पेपर टेप का उपयोग होता था।
- प्रोग्रामिंग भाषा के रूप में मशीनी भाषा उपयोग होती थी।
Second Generation of Computer in Hindi (कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी)
First generation के computer की तकनीकों में जो सुधार आया उन्हें ही सामान्य तौर पर हम second generation के कम्प्यूटरों का स्थान देते हैं। जहाँ first generation के कम्प्यूटरों मे वैक्युम ट्यूब का उपयोग किया जाता था। वहीं second generation के कम्प्यूटरों में ट्रांजिस्टर (Transistor) का उपयोग किया जाने लगा।
द्वितीय generation के computer का काल 1956 से 1964 का माना जाता है। इस प्रकार के कम्प्यूटरों के विकास का श्रेय विलियम शोकले के नेतृत्व वाली उनकी टीम को दिया जाता है। जो अमेरिका के मूल निवासी थे।
इन कंप्यूटरों की output करने की क्षमता एवं कार्य करने की प्रणाली प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटरों से तीव्र होती थी। इन कंप्यूटरों में बिजली की खपत पहले के मुकाबले काफी कम हो गयी एवं यह अधिक समय चलने पर भी कम गर्म होते थे। इनमे पहले से अधिक आकड़ो को स्टोर किया जा सकता था।
इस generation के computers में डाटा को सुरक्षित रखने हेतु मैग्नेटिक कोर मेमोरी का उपयोग किया जाता था। इन कम्प्यूटरों को भी इस काल में बहुत कम लोगो द्वारा उपयोग में लाया जाता था क्योंकि इनका आकार और इनकी उच्च स्तरीय भाषा को प्रत्येक व्यक्ति द्वारा समझ पाना असंभव था।
इनका उपयोग करना भी बेहद आसान था और इनके निर्माण में पहले के मुकाबले कम खर्चा आता था। हालांकि इनके आकार में पहले के मुकाबले ज्यादा बदलाव नहीं आया था। यह पहले से अधिक विश्वसनीय होते थे अर्थात इनमें पहले के मुकाबले सटीक output प्रदान करने की क्षमता होती थी।
इस समय के कंप्यूटरों में मशीनी भाषा के स्थान पर उच्च स्तरीय भाषा का उपयोग किया जाता था। जैसे – Cobol, Snobol, Fortran and Algol.
उदाहरण: UNIVAC 1108, IBM 7094, CDC 3600/1604 and HONEYWELL 400.
Second generation के computers की मुख्य विशेषताएं निन्मलिखित हैं: –
- मुख्य इलेक्ट्रॉनिक घटक के रूप में ट्रांजिस्टर का उपयोग होने लगा।
- चुंबकीय कोर और चुंबकीय टेप/डिस्क मुख्य मेमोरी थे।
- निर्देश लिखने के लिए असेंबली भाषा का उपयोग होने लगा था।
- गति और विश्वसनीयता में सुधार पहली जनरेशन के कंप्यूटरों की तुलना में।
- इनपुट/आउटपुट के लिए पंच कार्ड और मैग्नेटिक टेप का उपयोग किया गया था।
- कम बिजली की खपत, कम गर्मी उत्पन्न, और आकार में छोटे पहली जनरेशन के कंप्यूटरों की तुलना में।
Third Generation of Computer in Hindi (कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी)
Third generation के computers की अवधि 1964 से 1971 के बीच मानी जाती हैं। third generation के कंप्यूटरों में ट्रांजिस्टर की जगह इंट्रीग्रेटेड सर्किट (IC) का उपयोग किया जाता था। जिसका विकास जैक किलबी ने वर्ष 1958 में किया था।
इस generation के computers का आकार पहले की तुलना में छोटा होता है और इनकी कार्य करने की क्षमता, डाटा संग्रहित करने की क्षमता एवं लोगों तक इसकी पहुच पहले के मुकाबले अधिक मात्रा में थी। द्वितीय श्रेणी के कम्प्यूटरों में जो तकनीकी बदलाव हुए, उन्हें ही हम तृतीय श्रेणी के कम्प्यूटरों का स्थान देते हैं।
इस generation के computers को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पर पहुचाया जा सकता था क्योंकि इनका आकार और इनका भार काफी हल्का होता था। यह बहुत विश्वशनीय थे क्योंकि इनके output देने की क्षमता एवं उत्तर बहुत सटीक होते थे।
इस generation के computer के संचालन हेतु ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) का प्रयोग किया जाता था। जिस कारण इसके अन्य कार्य स्वचालित हो जाया करते थे।
उदाहरण: IBM 360/370, Honeywell-6000, PDP-11, आदि।
Third generation के computers की मुख्य विशेषताएं निन्मलिखित हैं: –
- एकीकृत सर्किट (IC) का उपयोग मुख्य इलेक्ट्रॉनिक घटक के रूप में होने लगा था।
- बड़ा चुंबकीय कोर, चुंबकीय टेप/डिस्क मुख्य मेमोरी थी।
- गति और विश्वसनीयता में सुधार पहली दो पीढ़ियों से काफी सुधार हुआ।
- तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों की रखरखाव लागत भी कम थी।
- तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर ने कम बिजली की खपत की और कम गर्मी भी पैदा की।
- फोरट्रान, बेसिक, पास्कल, कोबोल, सी, आदि प्रोग्रामिंग भाषाएँ उपयोग की गयी।
- इस पीढ़ी के कंप्यूटर दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में छोटे, सस्ते और अधिक कुशल थे।
- इनपुट और आउटपुट के लिए मैग्नेटिक टेप, कीबोर्ड, मॉनिटर, प्रिंटर आदि का उपयोग होने लगा।
- दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों द्वारा लिया गया कंप्यूटिंग समय कम था।
- तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों का कंप्यूटर सिस्टम व्यावसायिक उपयोग के लिए आसान था।
Fourth Generation of Computer in Hindi (कंप्यूटर की चौथी पीढ़ी)
Fourth generation के कम्प्यूटरों का कार्यकाल 1971 से 1985 तक माना जाता हैं। इस generation के computers में माइक्रोप्रोसेसर का इस्तेमाल किया जाता था। जिस कारण यह कंप्यूटर तीसरी जनरेशन के कंप्यूटरों से भिन्न थे।
इस generation के computer पहले के मुकाबले काफी तीव्र एवं पहले से अधिक उपयोग किये जाने वाले हुआ करते थे। इस प्रकार के कंप्यूटर को सुरक्षित रखने एवं इसका उपयोग करना पहले के मुकाबले काफी आसान था।
इन कंप्यूटरों में IC चिप की जगह माइक्रोप्रोसेसर का इस्तेमाल किया जाता था। जिस कारण इसकी प्रोसेस क्षमता पहले से कई गुना तीव्र हो गयी थी। इनके भीतर संग्रहित आंकड़ो को सुरक्षित रखने हेतु अधिक धन का व्यय नही करना पड़ता था।
यह पहली, दूसरी और third generation के कंप्यूटर के मुकाबले कई गुना ज्यादा सुरक्षित थे। अर्थात इनमें privacy और security features पहले के मुकाबले अधिक सक्षम थे।
इन कंप्यूटर का उपयोग करना एवं इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजना काफी सरल था और इनका मूल्य भी पहले के कम्प्यूटरों से बहुत कम होता था। जिस कारण इन कम्प्यूटरों का उपयोग अधिक लोग करते थे एवं अपने दैनिक कार्यो में इनका उपयोग करते थे। इन कंप्यूटरों में भी उच्च स्तरीय भाषा का उपयोग किया जाता था। जैसे- C, C++, Java और Visual Basic.
उदाहरण: DEC 10, IBM 4341, STAR 1000, ZX-Spectrum, Macintosh, आदि।
Fourth generation के computers की मुख्य विशेषताएं निन्मलिखित हैं: –
- Fourth generation के computer, Very Large Scale Integrated (VLSI) सर्किट (एक माइक्रोचिप पर हजारों ट्रांजिस्टर) का इस्तेमाल करते थे। इन्हे माइक्रोप्रोसेसर के रूप में भी जाना जाता है।
- पिछली generation की तुलना में उत्पादन लागत बहुत कम हो गई जिससे यह आम लोगों के लिए भी उपलब्ध हो गया।
- कंप्यूटर प्रोग्राम को सी, जावा, जावास्क्रिप्ट, कोटलिन, आदि प्रोग्रामिंग भाषाओं में लिखा जाने लगा।
- इनपुट और आउटपुट डिवाइस के लिए कीबोर्ड, मॉनिटर, और प्रिंटर का उपयोग किया गया।
- चौथी generation के कंप्यूटर आकार में बहुत छोटा हो गया, पोर्टेबल हो गया।
- सेमीकंडक्टर मेमोरी जैसे RAM, ROM, आदि उपयोग होने लगी थी।
- गति, सटीकता और विश्वसनीयता में सुधार।
Fifth Generation of Computer in Hindi (कंप्यूटर की पांचवी पीढ़ी)
Fifth generation के कंप्यूटरों आधुनिक प्रणाली से युक्त थे। जिनका कार्यकाल 1985 से अब तक चल रहा हैं। इन कम्प्यूटरों का निर्माण वर्तमान की आवश्यकताओं के अनुरूप किया गया था। यह कंप्यूटर Artificial Intelligence (AI) से युक्त होते हैं। जिस कारण इनमें कुछ क्रियाएं हमारी सुविधा हेतु स्वचालित होने लगती हैं।
इस generation के कंप्यूटर की कार्य करने की क्षमता एवं इनके कार्य करने की तीव्रता काफी अधिक हैं। यह आधुनिक प्रणाली से युक्त हैं और इनके कार्य करने की क्षमता इतनी अधिक हैं कि इनके मात्र प्रयोग से अनेको जटिल कार्यो को काफी सरलता से किया जा सकता हैं।
इनमें अधिक से अधिक डाटा को संग्रहित करके रखा जा सकता हैं और अगर किसी कारण वश यह खराब हो जाते है तो इनके डाटा को recover किया जा सकता हैं।
इनके कार्यो एवं इनकी क्षमताओं में अपने अनुरूप परिवर्तन भी लाया जा सकता हैं। इन कम्प्यूटरों का उपयोग अधिक समय तक लगातार किया जा सकता हैं क्योंकि यह कंप्यूटर अधिक समय प्रयोग करने के पश्चात भी गर्म नही होते।
इस generation के कम्प्यूटरों में उच्च स्तरीय भाषा का उपयोग किया जाता हैं जैसे – C, C++ , java , python आदि। इस generation के कंप्यूटर का उपयोग प्रत्येक क्षेत्र में किया जाता हैं जैसे – शिक्षा, उद्योग, तकनीक एवं दैनिक कार्यो से संबंधित विषय।
उदाहरण: Desktop, Laptop, Tablet, Smartphone, आदि।
Fifth generation के कम्प्यूटरों की मुख्य विशेषताएं निन्मलिखित हैं: –
- पांचवी generation के कंप्यूटर अल्ट्रा लार्ज-स्केल इंटीग्रेशन (ULSI) तकनीक पर आधारित है।
- ये computer generation कम बिजली की खपत और कम गर्मी पैदा करती है।
- प्राकृतिक भाषा (मानव भाषा) को समझने में सक्षम है।
- पांचवीं generation के computers में उच्च क्षमता और बड़ी मेमोरी क्षमता थी।
- गति, सटीकता और विश्वसनीयता में उल्लेखनीय सुधार चौथी generation के कंप्यूटरों की तुलना में।
- इस generation के कंप्यूटरों के साथ काम करना तेज था और एक साथ कई काम किए जा सकते थे।
- पिछली कंप्यूटर पीढ़ियों को केवल हार्डवेयर के आधार पर वर्गीकृत किया जा रहा था, लेकिन पांचवीं generation की तकनीक में सॉफ्टवेयर भी शामिल था।
- पांचवीं generation की कुछ लोकप्रिय उन्नत तकनीकों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटेशन, नैनो टेक्नोलॉजी, पैरेलल प्रोसेसिंग आदि शामिल हैं।
संक्षेप में – Conclusion
Computer generation हमें कंप्यूटर के विकास और टेक्नोलॉजी में क्रमबद्व रुप से आये परिवर्तनों के बारे मे बताती है। जिससे यह पता चलता है कि पहले की तुलना में विश्व अत्यधिक आधुनिकता की ओर अग्रसर हो रहा है। जहाँ हमे इसके कई फायदे देखने को मिलते हैं। वहीं इसके कई नुकसान भी है।
उम्मीद है, इस पोस्ट Computer Generation in Hindi के माध्यम से आप कंप्यूटर की सभी पांच पीढ़ियों के बारे में अच्छे से जान गए होंगें। यदि पोस्ट से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव हो तो कृपया नीचे कमेंट में हमे बताये।
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धन्यवाद, अभिषेक 😊
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