Incremental Model in Hindi – Phases, Advantage & Disadvantage

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के इस अध्याय What is Incremental Model in Hindi में हम चर्चा करेंगे इंक्रीमेंटल मॉडल क्या है, इसके विभिन्न phases, types, advantage और disadvantage के बारे में। लेख को अंत तक पढ़ने के बाद आपको इस विषय की पूरी जानकारी हो जाएगी।

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वृद्धिशील मॉडल क्या है
वृद्धिशील मॉडल के चरण
वृद्धिशील मॉडल के प्रकार
वृद्धिशील मॉडल के फायदे
वृद्धिशील मॉडल के नुकसान

What is Incremental Model in Hindi (इंक्रीमेंटल मॉडल क्या है?)

Incremental Model (वृद्धिशील मॉडल) में software development process को कई increments में divide किया जाता है तथा प्रत्येक increment में same phases को follow किया जाता है। सामान्य भाषा में समझे तो इस मॉडल के अंतर्गत एक बड़े project को कई modules या builds में develop करते है।

उदाहरण के लिये हम customer की requirements को एकत्रित करते है, अब पूरा software एक बार मे बना देने के बजाए हम पहले कुछ requirements को लेते है और उनके आधार पर software का एक module या function बनाकर customer को deliver करते है। फिर हम कुछ और requirements लेते है और उनके आधार पर एक और module उस software में add करते है।

ऐसे ही प्रत्येक increment में module को software में add किया जाता है जब तक complete system नहीं बन जाता। हालांकि एक बड़े projects को multiple iterations/parts में बनाने के लिये जो requirements है वो clear होनी चाहिये।

अगर Incremental methodology के पूरे सिद्धांत को समझें तो इसमें शुरूवात एक initial implementation को develop करके की जाती है, फिर उस पर user के feedback लिए जाते है, और जब तक एक accepted system विकसित नहीं हो जाता इसे कई versions के माध्यम से develop किया जाता है। शुरुवाती iterations में software की महत्वपूर्ण functionalities को विकसित किया जाता है।

Software module की प्रत्येक subsequent release पिछली release में function add करती है। यह प्रकिया तब तक जारी रहती है जब तक कि final software प्राप्त नहीं हो जाता।

Incremental Model का उपयोग कब करें:

  • इस मॉडल का उपयोग तब करना चाहिए जब system requirements को clearly समझा जा चुका हो।
  • जब software के early release की demand हो।
  • जब सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग टीम बहुत अच्छी तरह से कुशल या प्रशिक्षित नहीं हो।
  • जब Large-sized projects हो।
  • जब new technology को use किया जा रहा हो।
  • जब high risk features और goals शामिल हो।

अन्य SDLC Models: Waterfall model, Iterative model, Prototype model, Spiral model, Agile model, RAD model.

Phases of Incremental Model in Hindi

Incremental Model के विभिन्न phases निम्नलिखित है:

Communication: पहले phase में हम customer के साथ आमने-सामने बातचीत करके उसकी जो mandatory requirements होती है उन्हें collect करते है। जैसे कि customer को उसके software में कौन-कौन सी functionalities चाहिये, आदि।

Planning: इस phase में requirements को multiple modules में divide किया जाता है और उनके आधार पर planning की जाती है।

Modeling: इस phase में प्रत्येक module का design तैयार किया जाता है। design तैयार हो जाने के बाद हम कई modules के बीच एक particular module को लेते है और उसे DDS (Design Document Specification) में save करते है। इस document में ERDs और DFDs जैसे diagrams शामिल किए जाते है।

Construction: यहाँ हम उस particular module के design के आधार पर construction शुरू करते है। अर्थात module के design को coding में implement करते है। एक बार code लिखे जाने के बाद उसका test किया जाता है।

Deployment: code की testing पूरी हो जाने के बाद यदि वह module सही तरह से काम कर रहा हो तो उसे customer को use करने के लिए दे दिया जाता है।

इसके बाद next module को same phases के माध्यम से develop किया जाता और उसे previous module के साथ combine कर दिया जाता है। इससे customer के लिए नई functionality उपलब्ध हो जाती है। ऐसा तब तक किया जाता है जब तक complete modules विकसित नहीं किये जाते।

वृद्धिशील मॉडल के प्रकार

Incremental Model दो प्रकार के होते है, जो निम्नलिखित है:

1. Staged Delivery Model –
Incremental model के इस प्रकार में एक समय में project के केवल एक part को develop किया जाता है। ये भी कह सकते है कि project के parts को एक-एक करके develop किया जाता है। इसमें हम customer को पूरा software एक बार मे नहीं बल्कि कई versions में deliver करते है।

2. Parallel Development Model –
इसमें एक ही समय मे विभिन्न modules को develop किया जाता है। प्रत्येक module के लिए एक अलग team होती है जो parallelly प्रोजेक्ट में काम कर रही होती है। यह development में लगने वाले समय को कम करता है, i.e. TTM (Time to Market).

Advantage of Incremental Model in Hindi

  • महत्वपूर्ण modules/functions को पहले develop किया जाता है और फिर शेष को chunks में add किया जाता है।
  • Software development life cycle (SDLC) के दौरान working s/w को quickly और early तैयार किया जाता है।
  • यह मॉडल requirements और scope को change करने के लिये flexible और less expensive है।
  • प्रत्येक build पर customer respond कर सकता है और यदि किसी changes की आवश्यकता हो तो feedback प्रदान कर सकता है।
  • Project की progress मापी जा सकती है।
  • एक छोटे iteration के दौरान test और debug करना आसान है।
  • Errors की पहचान करना आसान है।

Disadvantage of Incremental Model in Hindi

  • Management एक continuous activity है जिसे handled किया जाना चाहिये।
  • इससे पहले की project को तोड़कर incrementally built किया जा सके,
  • software की पूर्ण requirements स्प्ष्ट होनी चाहिए।
  • इसके लिए अच्छी योजना और डिजाइनिंग की आवश्यकता होती है।
  • इस मॉडल में लगने वाली कुल cost higher होती है।

संक्षेप में (Conclusion)

उम्मीद है, इस पोस्ट What is Incremental Model in Hindi (इंक्रीमेंटल मॉडल क्या है) को अंत तक पढ़ने के बाद आपको यह विषय अच्छे से समझ मे आ गया होगा। साथ-साथ इसके विभिन्न phases, types, advantage और disadvantage के बारे में भी आपको पूरी जानकारी हो गयी होगी।

यदि फिर भी विषय से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव हो तो कृपया हमें नीचे comments के माध्यम से जरूर बताएं। अंत मे जानकारी उपयोगी लगी हो तो इसे social media पर अपने सहपाठियों के साथ share जरूर करें।



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