TCP/IP Model in Hindi | OSI और TCP/IP मॉडल में अंतर

आज के इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि What is TCP/IP Model in Hindi ? (टीसीपी आईपी मॉडल क्या है)। अगर आप TCP/IP Model की जानकारी लेना चाहते है तो इस ब्लॉग में आखिर तक बने रहे।

TCP/IP Model Kya Hai in Hindi

हम इन्सान एक दूसरे से बात करने, अपनी बातों को एक दूसरे से share करने और दूसरो की बातों को समझने के लिए एक दूसरे के साथ communicate करते है बातचीत करते है।

बिना किसी communication के बाते शेयर नही की जा सकती। ऐसे ही इंसानो की तरह computers को भी एक दूसरे के साथ communicate करने के लिए एक ज़रिये का होना बहुत ज़रूरी है, जिससे computers के बीच data को आसानी से share किया जा सके।

इन्सान अपनी भाषा का प्रयोग करके communicate करते है और आज के समय सभी कंप्यूटर एक दूसरे के साथ कम्यूनिकेट करने के लिए TCP/IP Model का इस्तेमाल करते है।

टीसीपी आईपी मॉडल क्या है (What is TCP/IP Model in Hindi) ?

TCP/IP का फुल फॉर्म Transmission Control Protocol/Internet Protocol है। TCP/IP नियमो का एक समूह होता है जो computers को एक दूसरे के साथ नेटवर्क जैसे Internet पर communicate करने की अनुमति देते है। वैसे तो कंप्यूटर अकेले ही हज़ार काम करने के काबिल है लेकिन इसकि असली ताकत तब पता चलती है जब एक कंप्यूटर दूसरे कंप्यूटर के साथ कम्यूनिकेट कर पाते है।

कंप्यूटर्स से नेटवर्क के ज़रिए चाहे कोई भी काम हम करवाले जैसे email भेजना, Netflix देखना, social networking sites पर चैटिंग करना, इन सभी कार्यो में कंप्यूटर एक दूसरे के साथ communicate करते है। फिर चाहे वो कंप्यूटर किसी भी देश मे हो कंप्यूटर किसी भी कंपनी का हो या उस मे चाहे कोई भी operating system का इस्तेमाल किया गया हो।

Computers communicate कर पाते है protocols की मदद से जो नियमो के समूह है। computers को सफलता पूर्वक बात करने के लिए इन नियमों का पालन करना पड़ता है। जैसे एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से बात करने के लिए एक नियम का पालन करता है जिसमे उसे सामने वाले के साथ कैसे पेश आना है और कैसे बाते करनी है ये पता होता है।

उस ही तरह एक कंप्यूटर को दूसरे कंप्यूटर के साथ कैसे कम्यूनिकेट करना है इस के लिए भी नियम बनाये गए है इन्ही rules को “TCP/IP protocols” कहते है। TCP/IP एक standard protocol है जिस के ज़रिए इंटरनेट नेटवर्क या अन्य Internet डिवाइस के बीच सूचनाओ का आदान प्रदान होता है।

ये प्रोटोकॉल एक guideline जारी करता है जिसका पालन करते हुए कंपनिया अपने कंप्यूटर डिवाइस और hardware बनाते है। TCP/IP Model का implementation लगभग सभी प्रकार के हार्डवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए एक समान रूप से काम करता है। इसलिए सभी प्रकार के नेटवर्क TCP/IP model के प्रयोग के द्वारा आपस मे कनेक्ट हो पाते है।

जब हम अपने computer से कोई डेटा अपलोड या डाउनलोड कर रहे होते है तो इस प्रक्रिया को TCP/IP के माध्यम से control किया जाता है। क्योकि जब कोई file इंटरनेट से डाउनलोड या अपलोड होती है तो ये प्रक्रिया एक packets के रूप में होती है।

इन पैकेट्स में डेटा का समूह होता है और TCP का कार्य केवल इन पैकेट्स को हमारे कंप्यूटर में डाउनलोड या अपलोड होते समय उसे कंट्रोल करना होता है।TCP/IP Model में चार layer होते है जो network devices को interconnect करने में मदद करते हैं।

निचे दी गयी तस्वीर TCP/IP protocol architecture layers को दर्शाती है।

TCP/IP Model architectural diagram

जब TCP, sender से डेटा को लेकर उन्हें विभाजित कर पैकेट्स बनाता है और इन पैकेट्स को receiver के पास भेजता है तब communication के काम को सभी layers में divide किया जाता है। इन सभी लेयर्स का काम एक दूसरे से बिल्कुल ही अलग होता हैं।

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TCP/IP मॉडल में कुल 4 प्रकार की layers होती है, जो निम्नलिखित है:

  1. Network access layer
  2. Internet layer
  3. Transport layer
  4. Application layer

1. Network Access Layer

अब हम बात करेंगे TCP/IP Model की पहली लेयर यानी कि Network access layer के बारे में। यह data link और physical layer का combination है। ये data के physical transmission के लिए responsible होती है और साथ ही ये फिजिकल setup को निर्धारित करती है। इस लेयर को हम साथ ही मे Host to network layer भी कह सकते है।

Network access layer ये बताती है की किस प्रकार डेटा नेटवर्क में sent होता है। इस लेयर में किसी ना किसी networking device जैसे कि Network interface card (NIC), आदि का उपयोग होता है जो विभिन्न कंप्यूटर्स को सर्वर से कनेक्ट करने का कार्य करता है।

यह हमारे कंप्यूटर को सर्वर कंप्यूटर या किसी अन्य कंप्यूटर से data packets को send या receive करने की सुविधा प्रदान करती है। इस लेयर में जो डेटा होता है वो पैकेट्स के रूप में होता है और इस packet को source से destination तक पहुंचाने का काम Network layer का होता है।

Network Access Layer में उपयोग किए जाने वाले कुछ Protocols हैं: ethernet, token ring, FDDI, X.25, frame relay.

2. Internet Layer

Internet layer नेटवर्क में connectionless communication उपलब्ध कराती है। इस का कार्य अलग-अलग networks या host को कम्युनिकेशन के लिए आपस मे कनेक्ट करना होता है। networks में पैकेट्स के मूवमेंट को कंट्रोल करना भी इस ही लेयर का कार्य होता है।

इस मे transport layer से छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में सूचना को प्राप्त कर डेटा को IP data gram के रूप में पैकेज किया जाता है। यह data gram source तथा destination IP address को contain किये रहते है जिस से की डेटा को आसानी से sent तथा receive किया जा सके।

Internet Layer में उपयोग किए जाने वाले कुछ Protocols हैं: Internet protocol (IP), Internet control message protocol (ICMP), Address resolution protocol (ARP), Reverse address resolution protocol (RARP), और Internet group management (IGM).

3. Transport Layer

यह लेयर डेटा के transmission के लिए ज़िम्मेदार होती है। इस का कार्य network के विभिन्न host computer के मध्य communication को निर्धारित करना होता है। साथ ही transport layer में error checking और flow control भी होता है।

इस layer में दो मुख्य प्रोटोकॉल काम करते है वो है Transmission Control Protocol (TCP) और User Datagram Protocol (UDP)। इस लेयर में TCP और UDP प्रोटोकॉल में भेजी जाने वाली बड़ी सूचना को application layer से प्राप्त करके छोटे-छोटे टुकड़ो में विभाजित करके इंटरनेट लेयर में भेजते हैं।

इस मे TCP अधिक reliable और connection oriented प्रोटोकॉल होता है, क्योंकि यह डेटा transmit करने से पहले कनेक्शन set-up करता है और रिलाएबल कनेक्शन होने के बाद ही डेटा transmit करता है। TCP में डेटा पैकेट के पहुंचने की गारंटी होती है। इस ही लिए TCP को reliable protocol कहा जाता है।

UDP एक connection less प्रोटोकॉल होता है क्योंकि यह डेटा transmission के लिए कनेक्शन स्थापित नही करता और नाही डेटा transmission की गारंटी देता है। इस ही लिए UDP को unreliable protocol भी कहा जाता है। लेकिन UDP की तुलना में TCP धीमी गति से कार्य करता है।

Transport layer में उपयोग किये जाने वाले कुछ मुख्य प्रोटोकोल्स है: Transmission control protocol (TCP) और User data gram protocol (UDP).

4. Application Layer

अब हम देखेंगे कि Application layer क्या है? यह लेयर TCP/IP Model में सबसे ऊपर वाली लेयर है। यह लेयर कंप्यूटर applications को नेटवर्क सर्विस उपब्ध करवाने में मदद करती है।

यह layer user को कम्युनिकेशन करने के लिए इंटरफ़ेस उपलब्ध करवाता है। इस मे यूजर अपने विभिन्न application जैसे browser, FTP, email आदि के साथ कार्य करता है।

इस लेयर का काम transport layer को डेटा भेजना और उस ही डेटा को receive करना होता हैं। यह transport layer को data भेजती है तथा उससे डेटा को receive करती है। यह लेयर बहुत सारे protocols का इस्तेमाल करती है।

Application layer में उपयोग किये जाने वाले कुछ protocols है: HTTP, SSH, DNS, FTP, SMTP, SNMP और Telnet.

TCP/IP Model कैसे काम करता है

अभी हमने जाना कि TCP/IP Model क्या है पर अब हम जानेंगे कि ये काम कैसे करता है। यह इंटरनेट के द्वारा प्रयोग किया जाने वाला communication protocol है। TCP/IP Model दो कंप्यूटर के बीच इनफार्मेशन को भेजने का काम करता है और communication की सुविधा उपब्ध करवाता है।

ये protocol इंटरनेट में डेटा को सुरक्षित रखते हुए उस डेटा को उस के निश्चित स्थान तक पहुँचाता है। यह protocol 2 भागों में विभाजित है, पहला भाग TCP है जिस की भूमिका डेटा को छोटे-छोटे भागो में बाटने की होती है। जो इंटरनेट पर डेटा ट्रांसफर करने में प्रयोग किया जाता है।

ये किसी file या सन्देश को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने में सहायक होता है। दूसरा भाग IP है जो TCP के द्वारा विभाजित किये गए packets का address मुहैय्या कराता है ताकि हर एक पैकेट सही रास्ते से भेजा जा सके।

तो इस का मतलब है कि TCP डेटा को छोटे-छोटे पैकेट्स के रूप में विभाजित कर देता है और इसे इंटरनेट में भेज देता है। अब IP इस डेटा को उस की destination तक पोहचाता है जिस से इंटरनेट और नेटवर्क के बीच communication स्थापित होता है।

इन दोनों protocol के बिना इंटरनेट में communication संम्भव नही है। यह protocol इंटरनेट से जुड़े हर एक कंप्यूटर में प्रयोग किया जाता है चाहे वो laptop हो personal computer हो या super computer सभी मे सामान्य रूप से लागू होता है।

TCP/IP, इंटरनेट और इसी तरह के कंप्यूटर नेटवर्क का सबसे महत्वपूर्ण communication protocol होता है जो अपने आप मे बहुत सारे प्रोटोकॉल से मिलकर बना होता है। इसलिए इसे Internet protocol suite या TCP/IP reference model भी कहा जाता है।

TCP और IP कैसे अलग हैं ?

TCP और IP के बीच जो मुख्य अंतर है वो उनकी भूमिका है। इन दोनों protocols के अलग-अलग काम होते है। TCP (Transmission Control Protocol) डेटा को destination तक पहुचाने का कार्य करता है। अगर बात की जाए IP (Internet Protocol) की तो यह address को खोजने का कार्य करता है जिस पर डेटा वितरित किया जाना है।

TCP डेटा को प्रेषित कर सकता है साथ हीं यह clogging को नियंत्रित भी करता है। आवेदक तक पहुचने से पहले पैकेट्स को व्यवस्थित करता है। IP protocol स्थिति में सुधार करता है साथ ही अतरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है। user की basic email stream को सुरक्षित करने की अनुमति देता है।

TCP में प्रक्रिया की शुरुआत बहुत धीमी होती है। एक उपयोगकर्ता को WAN सेवाओं पर स्विच करना पड़ता है। IP एक बहुत महँगा विकल्प है इसे खोजना भी मुश्किल है।

TCP/IP मॉडल के फायदे

  • TCP/IP एक इंडस्ट्री standard model है और इसे आसानी से नेटवर्किंग समस्याओं पे लागू किया जा सकता है।
  • यह मॉडल interoperable है और यह heterogeneous network के बीच cross platform communication करने की अनुमति देता है।
  • Network को बिना किसी interrupting सर्विसेज के कनेक्ट करने की अनुमति देती है।
  • यह मॉडल हर एक वेबसाइट को अपना एक unique domain name प्रदान करता है।

TCP/IP मॉडल के नुकसान

  • TCP/IP मॉडल nature में सामान्य नही होता इसलिए ये TCP/IP suite के अलावा किसी भी protocol stack का प्रतिनिधित्व करने में सफल नही हो पाता। उदाहरण के लिए यह ब्लूटूथ कनेक्शन का वर्णन नही कर सकता।
  • यह services, interfaces और protocols की अवधारणाओं को अलग-अलग नही कर सकता। इसलिए इन तकनीको का नए नेटवर्क में वर्णन करना उपयुक्त नही है।
  • इस मॉडल को मूल्य रूप से WAN network के लिए तैयार किया गया है। यह LAN और PAN network के लिए अनुकूलित नही है।

TCP/IP और OSI Model में समानताएं और अंतर

क्रमांकसमानताएंअंतर
1.TCP/IP और OSI दोनों भी मॉडल नेटवर्किंग के लिए standard को परिभाषित करते है।TCP/IP मॉडल में 4 प्रकार की लेयर्स होती है जब कि OSI मॉडल में 7 प्रकार की लेयर्स होती है।
2.दोनों मॉडल नेटवर्किंग मानकों और उपकरणों को बनाने और लागू करने के लिए एक अलग बनावट प्रदान करते है।अगर बात की जाए OSI की तो इस का उपयोग अब खत्म हो चुका है जब कि TCP/IP Model का कंप्यूटर नेटवर्किंग में अभी भी उपयोग किया जाता है।
3.TCP/IP और OSI Model निर्माता को ऐसे device और नेटवर्क घटक बनाने की अनुमति देते है, जो दूसरे निर्माताओ द्वारा बनाये गए उपकरणों और घटको के साथ काम कर सकते है।Routing protocol और मानको को define करने के लिए OSI नेटवर्क लेयर का उपयोग करता है, अगर बात की जाए TCP/IP की तो यह इंटरनेट लेयर का उपयोग करता है।
4.यह दोनों भी मॉडल जटिल कार्यों को सरल घटकों में विभाजित करके समस्या निवारण प्रक्रिया को सरल बनाते हैं।OSI हर मानक और प्रोटोकॉल को विस्तार से explain करता है पर जब अगर बात को जाए TCP/IP की तो यह उसी का एक संक्षिप्त संस्करण प्रदान करता है।
5. दोनों ही logical model होते है।OSI मॉडल TCP/IP की तुलना में बहुत अच्छी तरह से प्रलेखित होता है।

TCP/IP Model पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न 1 – TCP/IP का फुल फॉर्म क्या है ?
उत्तर – TCP/IP का फुल फॉर्म Transmission Control Protocol/Internet Protocol है।

प्रश्न 2 – TCP/IP Model में कुल कितनी layers होती हैं ?
उत्तर – TCP/IP model में 4 layers होती है।

प्रश्न 3 – टीसीपी आईपी द्वारा उपयोग किए जाने वाले कुछ सामान्य protocols क्या हैं ?
उत्तर – TCP/IP द्वारा उपयोग किये जाने वाले सामान्य प्रोटोकॉल TCP, IP, HTTP, FTP और UDP है।

संक्षेप में – Conclusion

तो आशा करते है कि आप को इस पोस्ट से What is TCP/IP Model in Hindi? (टीसीपी आईपी मॉडल क्या है),यह कैसे काम करता है, इस कि कितनी layers होती है और इसके फायदे नुकसान क्या है समझ आगये होंगे। मैने इस पोस्ट में बहुत सरल भाषा मे TCP/IP Model को समझाने की कोशिश की है जो आसानी से हर किसी को समझ आ सकता है।

हमारी हमेशा से यही कोशिश रहती है कि हमारे ब्लॉग के ज़रिए आपको दिए गए विषय पर पूरी जानकारी प्राप्त हो सके ताकि आपको कही और जाना ही न पड़े इस आर्टिकल से जुड़ी कोई परेशानी हो तो आप हमे नीचे कमेंट करके बतादे ताकि हम आपकी परेशानी को जल्द से जल्द दूर कर सके।



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